Saturday, April 15, 2023

विकास दुबे की कहानी

विकास दुबे कैसे बना कानपुर उत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया?

 

बचपन से क्रिमिनल रूप में विकास दुबे का विकास :

विकास दुबे 26 दिसंबर, 1964 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बिकरू गांव में पैदा हुआ था। उनके पिता रामकृष्ण दुबे एक गांव के पंच थे जो बचपन से ही उनकी विदेशों की जिज्ञासा को पूरा करने के लिए उन्हें दूसरे गांवों में भेज देते थे। उनकी मां शांति दुबे एक घरेलू महिला थी जो गांव के लिए अपने पति के साथ सेवाएं करती थी।

विकास दुबे का बचपन दुष्प्रवृत्तियों के बीच बीता जिसमें वह अपने घर के बगड़े और अन्य लोगों से छोटे छोटे अपराधों की शुरुआत की। जल्द ही उनकी उम्र 15-16 वर्ष होते ही बड़े अपराधों में भी वे शामिल हो गए। उन्होंने नशे के अधीन अपराध किए, चोरी की, लूट की और दरबारों में लड़कों को बेचकर पैसे कमाये।
बचपन में विकास दुबे एक बुरे शिक्षक की भी शिकार हुए जो उन्हें जबरदस्ती पढ़ाना चाहता था। इससे वे उस विद्यालय में पढ़ने से मना कर दिये और बाद में अपनी पढ़ाई छोड़ दी।

क्राइम के क्षेत्र में प्रवेश:

विकास दुबे ने जल्द ही अपनी दबंगई और अपराधिक इतिहास के कारण क्राइम के क्षेत्र में अपना पैर जमाया। उन्होंने नशे के अधीन अपराध किए, चोरी की, लूट की और दरबारों में लड़कों को बेचकर पैसे कमाये। उन्होंने उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बहुत सारे अपराधों में अपना हाथ जमाया जिसमें लूटपाट, हत्या, वापसी व्यापार आदि शामिल थे।

उनके अपराधी कैरियर की शुरुआत सामान्य अपराधों से हुई लेकिन जल्द ही वे बड़े अपराधों में भी शामिल हो गए। उन्होंने अपनी गुंडागर्दी के बीच दो बार जेल जाना पड़ा और फिर उनकी साजिशों और सत्ता के नेक नाम पर वे एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में ऊपर उठने लगे।

सत्ता के नेक नाम पर दुबे का राजनीतिक सम्बन्ध:

विकास दुबे ने राजनीति में भी अपना पैर जमाया। उन्होंने अपनी गुंडागर्दी के बीच सत्ता के नेक नाम पर राजनीतिक दलों के साथ संबंध बनाए। उन्होंने स्थानीय नेताओं और विधायकों को रक्षा दी और उनके चुनाव अभियानों में मदद की। इससे उन्हें स्थानीय नेताओं का समर्थन मिलता रहा और वे अपनी गुंडागर्दी को अन्य दलों के साथ भी जोड़ने में सक्षम हुए।

उन्होंने अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर अपनी अपराधी कार्यक्षमता में और भी बढ़ोतरी की। उन्होंने अपने दल के सदस्यों को अपने उद्देश्यों के लिए उत्तर देने के लिए मजबूर किया जिससे उन्हें जान से मारने की आशंका नहीं रही। उनका राजनीतिक संबंध उन्हें अपराध के क्षेत्र में और भी सक्रिय बनाता गया जिससे उन्हें उनके अपराधों को स्वयं से बचाने का मौका मिलता रहा।

बिकरू मामले में दुबे और उनके साथियों की वजह से हत्या:

विकास दुबे और उनके साथियों के संबंध में बिकरू मामले में हत्या के मामले में बहुत साक्ष्य मिले हैं। 2 जुलाई, 2020 को उनके आश्रय से बिकरू मामले में दिल्ली के एक वकील संदीप बाजला की हत्या हुई थी। इस हत्या के मामले में पुलिस ने दुबे को गिरफ्तार किया था लेकिन उन्हें जल्द ही छूटने मिल गए।

बाद में, 3 जुलाई, 2020 को उनके घर पर एक स्थानीय व्यापारी की हत्या के मामले में पुलिस ने दुबे को फिर से गिरफ्तार किया था। इस हत्या के मामले में भी दुबे और उनके साथियों का संलग्न होने का संदेह था।

जब पुलिस ने दुबे को गिरफ्तार किया था, तब वे और उनके साथियों ने एक पुलिस कार में फायरिंग की और उस पुलिस कार के 8 पुलिसवालों को मार डाला। इस घटना के बाद दुबे और उनके साथियों को राज्य सरकार ने एनकाउंटर में मार डाला।

महाकाल मंदिर से गिरफ्तारी और एनकाउंटर:

दुबे का महाकाल मंदिर से गिरफ्तारी और एनकाउंटर दो अलग-अलग घटनाओं से संबंधित हैं।

पहले बात करते हैं दुबे के महाकाल मंदिर से गिरफ्तारी की। 2002 में, उन्हें मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित महाकाल मंदिर के पास से गिरफ्तार किया गया था। दुबे को कई गंभीर अपराधों, जैसे कि हत्या, दाखिल-ख़ारिज और उच्चस्तरीय गोलीबारी जैसे अपराधों के लिए खोज रही थी।

अब बात करते हैं दुबे के महाकाल मंदिर से एनकाउंटर की। 10 जुलाई 2020 को, उन्हें शिवपुरी जिले में एक साधु के आश्रम में मिला था। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास किया लेकिन दुबे बचने के लिए पलायन करने की कोशिश की। इसके बाद एक एनकाउंटर के दौरान, उन्हें मार गिराया गया।

यह समाचार राष्ट्रीय स्तर पर बहुत चर्चा का विषय बना था और इससे अनेक विवादों ने जन्म लिया।

दुबे की मौत पर विवाद:

दुबे के महाकाल मंदिर से एनकाउंटर में मृत्यु होने पर बहुत सारे विवाद हुए थे।

कुछ लोग इसे उच्च स्तरीय गोलीबारी के रूप में देखते हैं जबकि कुछ लोग इसे स्वयंसेवकों द्वारा किया गया जानलेवा प्रहार मानते हैं।

कुछ लोग इसे एनकाउंटर के रूप में सही मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे एक गैरकानूनी और शास्त्रीय कदम मानते हैं।

दुबे की मृत्यु के सम्बन्ध में कई विस्तृत जांच और तफ़सीली रिपोर्ट जारी की गई हैं। अधिकांश रिपोर्ट्स इस बात का खुलासा करती हैं कि दुबे ने आतंकवाद के कई मामलों में शामिल होने के आरोप में घनिष्ठ था। इस वजह से उन्हें एनकाउंटर के दौरान जख्म ज़ख़्मी होने के बाद मौत हो गई थी।

अंततः, इस मामले में अधिक स्पष्टता के लिए सरकार द्वारा स्वयं निर्धारित स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी।

दुबे के मौत के बाद समस्त प्रक्रिया:

विकास दुबे की मौत के बाद, समस्त प्रक्रिया दिनांक 3 जुलाई 2020 को समाप्त हुई थी। उनके मौत के बाद, पुलिस ने संज्ञेय मामले के रूप में एक मुख्यालय दर्ज किया और जाँच शुरू की।

पुलिस ने दुबे के मृत्यु के सम्बंध में अभियोग पंजीकृत किए थे और जांच के दौरान उनके सम्बंधित अधिकारियों द्वारा दी गई रिपोर्ट को भी दाखिल किया गया था।

दुबे के मृत्यु के बाद, उनके परिजनों ने उनके शव को निकालने के लिए आवेदन किया था और शव को उनके गांव तक ले जाया गया था।

इस मामले में एनकाउंटर की जांच के लिए सरकार ने स्वतंत्र जांच की मांग की थी। उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक पिटीशन दाखिल की थी जिसमें सरकार ने एक संसदीय समिति की गठन की मांग की थी जो इस मामले की जांच करती है।

Wednesday, April 5, 2023

मुकेश अंबानी फिर बने एशिया के सबसे धनवान शख्स, गौतम अडानी इस निचले स्थान पर फिसले

Richest person of Asia ;  मुकेश अंबानी फिर बने एशिया के सबसे धनवान शख्स, गौतम अडानी इस निचले स्थान पर फिसले

 मंगलवार को जारी फोर्ब्स की 2023 की अरबपतियों की सूची के अनुसार, 24 जनवरी, 2023 तक 126 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ अडानी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे।

एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी फिर से हैं। उनकी कुल संपत्ति 54.9 अरब डॉलर है।


विस्तार

83.4 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ मुकेश अंबानी फिर से एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। वह अब एशिया के किसी भी अन्य व्यक्ति से अधिक मूल्य का है, और वह दुनिया के सबसे अमीर लोगों में नौवें स्थान पर भी है। इस बीच, गौतम अडानी 47.2 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ सबसे अमीर लोगों की वैश्विक सूची में नीचे आ गए हैं।




अडानी 24 जनवरी, 2023 तक 126 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं। हालांकि, अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद उनकी संपत्ति में तेजी से कमी आई है। हालांकि, वह मुकेश अंबानी के बाद दूसरे सबसे अमीर भारतीय बने हुए हैं। अमीरों की इस सूची में 2022 में 169 भारतीय अरबपतियों ने जगह बनाई थी, लेकिन उनकी संपत्ति 10 फीसदी घटकर 675 अरब डॉलर रह गई है. फोर्ब्स के अनुसार, मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) पिछले साल राजस्व में $100 बिलियन को पार करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई।


टॉप-25 अमीरों की संपत्ति 200 अरब डॉलर घटी: फोर्ब्स वर्ल्ड बिलियनेयर लिस्ट के मुताबिक, दुनिया के 25 सबसे अमीर लोगों की कुल संपत्ति में एक साल में 200 अरब डॉलर की कमी आई है। 2022 में उनकी कुल संपत्ति 2,300 अरब डॉलर (2.3 ट्रिलियन डॉलर) थी, जो अब घटकर 2,100 अरब डॉलर (2.1 ट्रिलियन डॉलर) रह गई है।

Amazon के मालिक जेफ बेजोस की संपत्ति में सबसे ज्यादा 57 अरब डॉलर की कमी आई है। एलन मस्क की संपत्ति में एक साल में 39 अरब डॉलर की गिरावट आई है।


बर्नार्ड अरनॉल्ट दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं।

फ्रांस के बर्नार्ड अरनॉल्ट 211 अरब डॉलर के साथ दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं। एलोन मस्क (180 अरब डॉलर) दूसरे, जेफ बेजोस (114 अरब डॉलर) तीसरे, लैरी एलिसन दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में चौथे नंबर पर 106 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ वॉरेन बफे हैं। पांचवां स्थान किसी ऐसे व्यक्ति को जाता है जिसकी नेटवर्थ 107 अरब डॉलर है।


बिल गेट्स 104 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ छठे स्थान पर हैं। माइकल ब्लूमबर्ग सातवें, कार्लसन स्लिम हेलू आठवें, मुकेश अंबानी नौवें और स्टीव बाल्मर 10वें स्थान पर हैं।


शिव नादर और सावित्री जिंदल भी 10 सबसे अमीर भारतीयों में शामिल हैं

नाम                          स्थान             संपत्ति

शिव नादर                  3rd                  25.6 बिलियन

साइरस पूनावाला       चौथा            $22.6 बिलियन

लक्ष्मी मित्तल              पांचवां                17.7 अरब डॉलर

सावित्री जिंदल             छठा                  $17.5 बिलियन

दिलीप सांघवी             7वें                   15.6 अरब डॉलर

राधाकृष्ण दमानी       8वां                15.3 बिलियन डॉलर

कुमार मंगलम बिड़ला      9वां            $14.2 बिलियन

उदय कोटक                  10वें          12.9 अरब डॉलर

Tuesday, April 4, 2023

रवि किशन ने आईपीएल में की भोजपुरी कमेंट्री-2023

रवि किशन ने आईपीएल में की भोजपुरी कमेंट्री


इस साल आईपीएल का सीधा प्रसारण अंग्रेजी और हिंदी के साथ भोजपुरी सहित कई क्षेत्रीय भाषाओं में हुआ। ये भाषाएँ व्यापक रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार सहित अन्य राज्यों में बोली जाती हैं। गोरखपुर से बीजेपी सांसद और अभिनेता रवि किशन ने की भोजपुरी आईपीएल कमेंट्री.

भोजपुरी कमेंट्री पर बात करते हुए रवि किशन ने कहा, 'मैं क्रिकेट का बहुत बड़ा फैन हूं और भोजपुरी टीम से खेलता हूं। जहां मेरे साथी सांसद मनोज तिवारी व अन्य खिलाड़ी भी खेलते हैं। मेरे खेलने के अनुभव के साथ खेल की बारीकियां मेरे अंदर स्वाभाविक रूप से आती हैं। अपनी मातृभाषा में इस खेल पर टिप्पणी करना इसे और भी खास बनाता है।

सेलिब्रिटीज में रवि किशन इकलौते आईपीएल कमेंटेटर है

गोरखपुर के सांसद ने कहा कि उन्होंने अब सप्ताहांत के लिए तारीखें तय कर दी हैं ताकि वह संसद सत्र में भाग ले सकें. रवि किशन इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के कमेंटेटरों में से एक हैं। वह भोजपुरी भाषी उत्तर प्रदेश से हैं, उस राज्य के कई अन्य प्रसिद्ध लोगों की तरह।

गोरखपुर से सांसद होने पर उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों सहित पूरे देश में लगभग 25 करोड़ लोग हैं, जो भोजपुरी बोलते और समझते हैं। यह मेरा कर्तव्य है कि मैं अपनी मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए जो कुछ भी कर सकता हूं वह करूं।” चलो यह करते हैं।"

इस साल आईपीएल का प्रसारण कुल 12 भाषाओं में उपलब्ध है। अंग्रेजी और हिंदी के अलावा, प्रशंसक अब भोजपुरी, मराठी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, पंजाबी, गुजराती, मराठी और बंगाली में कमेंट्री सुन सकते हैं।

इस पर रवि किशन ने कहा, 'मुझे जो प्यार मिला है वो वाकई खास है

रवि किशन का कहना है कि उन्हें जो प्यार मिला है वह बेहद खास है. उन्हें देश भर से फोन आ रहे हैं। और दुनिया उन लोगों से जो इस कमेंट्री को पसंद करते हैं। मुझे खुशी है कि भोजपुरी कमेंट्री की टीआरपी रेटिंग टॉप पर रही है।'

रवि एक बहुत ही सफल फिल्म निर्माता हैं। कई सालों तक फिल्में करने के बाद उन्होंने राजनीति में हाथ आजमाने का फैसला किया। वह इस नए करियर में बहुत अच्छा कर रहे हैं और लोग उनके काम से बहुत प्रभावित हैं। संसद में अक्सर भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के अपने साथियों के मुद्दों को उठाते रहे हैं। 2019 में पहली बार संसद सदस्य बनने के थोड़े समय के भीतर। उन्होंने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग करते हुए लोकसभा में एक निजी सदस्य का बिल लाया।

असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी जैसी 22 भाषाओं को आठवीं में शामिल किया गया है। संविधान की अनुसूची। भाषाएं शामिल हैं। अन्य 38 भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई।

विकास दुबे की कहानी

विकास दुबे कैसे बना कानपुर उत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया?   बचपन से क्रिमिनल रूप में विकास दुबे का विकास : विकास दुबे 26 दिसंबर, 1964 को उत...